धन्य धन्य है, धन्य, धन्य है, भारत भू की धूल
धन्य धन्य है भारत भू की धूल
धन्य धन्य है, धन्य, धन्य है, भारत भू की धूल,
यह भारत की धूल ...... ।
इसी धूल में खेल-खेलकर हुए थे वीर महान,
इसी धूल में खेल बने थे राम-कृष्ण भगवान,
मल-मल कर मस्तक पर इसको पाया रूप अनूप ।
यह भारत की धूल ...... ।
स्वर्ग के रहने वाले इसमें खेलन को ललचाते,
तीन लोक में इसकी महिमा के गुण गाये जाते,
पाकर इसको स्वर्ग लोक के सब सुख जाते भूल ।
यह भारत की धूल ...... ।
एक-एक कण इस धूली का है अपने को प्यारा,
एक-एक कण इस धरती का है नयनो का तारा,
मिट जाये यह और जियें हम, यह न होगी भूल ।
यह भारत की धूल ...... ।
मिल-जुलकर नित शाम सबेरे हम इसके गुण गाते,
और प्रेम के अमर सूत में है हम बाँधते जाते,
इसी धूल में हमें हमारे सब दुखे जाते भूल ।
यह भारत की धूल ...... ।
Post Comment
1 comment
Nice
Post a Comment