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धर्म के लिये जिये समाज के लिये जिये

 

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धर्म के लिये जिये

धर्म के लिये जिये समाज के लिये जिये

ये धड़कने ये श्वास हो

पुण्यभूमि के लिये कर्मभूमि के लिये ।। धृ ।।


कोटि कोटि कण्ठ से हिन्दु धर्म गर्जना

नित्य सिद्ध शक्ति से मातृभू की अर्चना

संघ शक्ति कलियुगे सुधा है धर्म के लिये ।। 1 ।।


व्यक्ति व्यक्ति में जगे समाज भक्ति भावना

व्यक्ति को समाज से जोड़ने की साधना

दाव पर सभी लगे धर्म कार्य के लिये ।। 2 ।।


एक दिव्य ज्योति से असंख्य दीप जल रहे

कौन लौ बुझा सके आंधियों में जो जले

तेज पुंज हम बढ़े तमस चीरते हुए ।। 3 ।।


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