सरस्वती वन्दना (Saraswati Vandana)
दीप स्तुति
दीपज्योति: परंज्योति:, दीपज्योतिर्जनार्दन: ।
दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते ।। 1 ।।
शुभं करोतु कल्याणम् आरोग्यं सुखसम्पद: ।
द्वेषबुद्धि विनाशाय आत्मज्योतिर्नमोऽस्तुते ।। 2 ।।
आत्म ज्योति: प्रदीप्ताय ब्रह्मज्ज्योतिर्नमोऽस्तुते ।
ब्रह्मज्योति: प्रदीप्ताय ब्रह्मज्योतिर्नमोऽस्तुते ।। 3 ।।
🍀सरस्वती वन्दना🍀
आज्ञा मातृ प्रणाम - 1, 2, 3
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।
या ब्रह्मच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता,
सा मांपातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा ।। 1 ।।
( जो कुन्द - पुष्प, चन्द्रमा तथा तुषार के समान धवल शुभ्रवस्त्र पहनी हुई, हाथों में श्रेष्ठ वीणा धारण किये श्वेत कमलासन पर स्थिर हैं, ब्रह्म, विष्णु, महेश आदि देवता जिसकी सदा वन्दना करते हैं, वह भगवती सरस्वती मेरी रक्षा कर मेरी जड़ता को दूर करे )
शुक्लांब्रह्मविचार सार परमामाद्यांजगद व्यापिनीम्,
वीणा पुस्तक धारिणीमभयदांजाड्यान्धकारापहाम् ,
हस्ते स्फटिक - मालिकांविदधतीं पद्मासने संस्थिताम् ,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदांशारदाम् ।। 2 ।।
( श्वेत वर्णा, ब्रह्मज्ञान के निष्कर्ष की परम आद्यस्वरूपा, संसार - व्यापिनी, वीणा एवं पुस्तक को धारण की हुई, अभय देने वाली, जड़ता के अंधकार को दूर करने वाली, हाथ में स्फटिक माला लिये, कमलासन पर स्थित, उस बुद्धिदायिनी परमेश्वरी भगवती शारदा का मैं वन्दन करता/करती हूँ ।)
🍀प्रार्थना🍀
हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी अम्ब विमल मति दे । अम्ब विमल मति दे ।।
जग सिरमौर बनायें भारत, वह बल विक्रम दे । अम्ब विमल मति दे ।। ध्रु. ।।
साहस शील हृदय में भर दे,
जीवन त्याग-तपोमय कर दे,
संयम, सत्य स्नेह का वर दे,
स्वाभिमान भर दे ।। 1 ।।
हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी अम्ब विमल मति दे । अम्ब विमल मति दे ।।
लव कुश ध्रुव प्रहलाद बनें हम,
मानवता का त्रास हरें हम,
सीता सावित्री दुर्गा मां,
फिर घर-घर भर दे ।। 2 ।।
हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी अम्ब विमल मति दे । अम्ब विमल मति दे ।।
ब्रह्मनाद
तीन बार ॐ ध्वनि - (ज्ञान मुद्रा में)
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ।
भारत वंदना
रत्नाकराधौतपदांहिमालय किरीटिनीम् ।
ब्रह्मराजर्षि रत्नाढ्यां वन्दे भारतमातरम् ।।
शान्ति पाठ
ओऽम् द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षग्वड्•शान्ति:
पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरौषधय: शान्ति: ।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वेदेवा: शान्तिर्ब्रह्ना शान्ति: ।
सर्वग्वड्•शान्ति: शान्तिरेव शान्ति:
सा मा शान्तिरेधि ।। ओऽम शान्ति: शान्ति: शान्ति: ।।
शान्तिमय द्यौ, सौरमंडल, व्याप्त पृथ्वी शान्ति से ।
शान्ति से अभिभूत है जल युक्त औषधि शान्ति से ।।
शान्तिमय है सब वनस्पति और चराचर देव भी ।
ब्रह्म भी है, शान्तियुक्त, शान्तिमय प्रति जीव भी ।
दैहिक दैविक और भौतिक तापत्रय में शान्ति हो ।
शान्ति है सर्वत्र भगवन् अब यहांभी शान्ति हो ।।
आज्ञा: मातृ प्रणाम - 1, 2, 3
1 comment
very Nice
Jay Maa Sharade
Post a Comment