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सौ रुपैया चाँदी के

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पत्ता-पत्ता हरियाली करते 

बड़े बड़े बूंदा पानी के

सौ रुपैया चाँदी के

ये बूंदा धरती पर पड़ते 

हीरे मोती की फसल उगल 

पत्ता-पत्ता हरियाली करते 

नदी तालाब बाबड़ी भरते 

जाते जाते हमसे बोले 

अब हम आएँगे अगले साल 

यह पानी करना खर्च सम्हाल 

हमको देर हुई आने में 

तो हो जाओगे हाल बेहाल



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