जइयो पनघट ने आज ऐरी गुईयाँ (बुन्देली लोक गीत)
जइयो पनघट ने आज ऐरी गुईयाँ,
उते कान्हाँ खड़ो है डगरिया ।।
देखो कान्हाँ खौ जात एइ गैलरी ।
बड़ो बाको सजो है, वो छैलरी, जैहो पनघट तो, फोर है गंगरिया ।
उते कान्हाँ खड़ो है डगरिया ।।
ओके जादू भरे दोउ नैनरी मारै कजरारी, अखियों से सैनरी,
मोरे ऊपर चलागऔ, नजरिया ।।
उते कान्हाँ खड़ो है डगरिया ।।
भोरे होतइ सें कचरिया मारी,
नन्दबाबा को छोरा अनारो ।
मैतो सीधी सी ब्रज की गुजरिया ।।
उते कान्हाँ खड़ो है डगरिया ।।
अब तो अन्तै बसूँगी, मैं जायरी,
मोहे छलिया दिन रात को दिखायरी
बैजू हो गई मैं ओकी बावरिया ।।
उते कान्हाँ खड़ो है डगरिया ।।
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