नीच प्रकृति के व्यक्ति विघ्नों के भय से कार्यों.......
प्रारभ्यते न खलु विघ्नभयेन नीचै:
प्रारभ्य विघ्नविहता विरमन्ति मध्या:।
विघ्नैर्मुहुर्मुहुरपि प्रतिहन्यमाना:
प्रारभ्य चोत्तमजना न परित्यजन्ति।।
अर्थात-नीच प्रकृति के व्यक्ति विघ्नों के भय से कार्यों को प्रारंभ ही नहीं करते और मध्यम प्रकृति वाले कार्य प्रारंभ तो कर देते हैं, परंतु विघ्न आ जाने पर उसे बीच में ही छोड़ देते हैं, किन्तु उत्तम प्रकृति के व्यक्ति विघ्नों के बार-बार आने पर भी प्रारंभ किए गए कार्य को नहीं छोड़ते उसे पूरा करके ही रहते हैं।
3 comments
nice
Nice
Very nice
Post a Comment