भोजन मंत्र (Bhojan Mantra)

 

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भोजन मंत्र


अन्न ग्रहण करने से पहले, विचार मन में करना है ।

इस हेतु से इस शरीर का , रक्षण पोषण करना है ।

हे परमेश्वर ! एक प्रार्थना, नित्य तुम्हारे चरणों में ।

लग जाये तन-मन-धन मेरा, मातृभूमि की सेवा में ।

ब्रह्मार्पणंब्रह्महर्वि ब्रह्मग्नौ ब्रह्मणाहुतम् ।

ब्रह्नौव तेन गन्तव्यंब्रह्मकर्म समाधिना ।। 1 ।।


यज्ञ आहुति देने का साधन ( स्त्रुचि, स्त्रुवि, हाथ की मृगि, हंस व्याघ्र आदि मुद्राएं ) 3 अर्पण ब्रह्म 4 है । ब्रह्मरूपी अग्नि में ब्रह्मस्वरूप होता ( यज्ञकर्ता ) के द्वारा जो हवन किया गया है वह भी ब्रह्म है । इसलिए ब्रह्मकर्म में सामाधिस्थ व्यक्ति का प्राप्तव्य भी ब्रह्म ही होगा ।। 1 ।।


ॐ सहनाववतु । सहनौभुनक्तु । सहवीर्यं करवावहै ।

तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ।।

ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ।। 2 ।।


हम दोनों ( गुरु शिष्य ) मिलकर परस्पर की रक्षा करें, मिल बांट कर उपभोग (सेवन) करें, साथ-साथ पराक्रम करें, हमारा अध्ययन तेजस्वी हो और हमारे बीच द्वेष न हों । (त्रिविध तापों की) शांति प्राप्त हो ।। 2 ।।